Marathi Bliss: Toh Chehra

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Finally  a timely Marathi Bliss, I was stuck on how to end this poem and structure it. It was more of a mental block. Too much of over-thinking I must admit. But anyways,

देर आएं दुरुस्त आएं | 

No abstract for the poem.

मन में आया लिखदिया |

From the Hindi lines it is pretty much clear, this post will have the मराठी poem as well as हिन्दी translation, Do read it full!!!

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मराठी:

तो चेहरा !!!

आठवतोय का हो 
आपल्या काळजात 
कायमचे घर करून ठेवलेला 
डोळे मिटल्यावर 
पहिल्याच शनी दिसणारा 
तो चेहरा 

तो चेहरा 
जो नः पाहता बालपणीचा एकही 
दिवस जात नाही 
आपलं सुख, आपलं दुःख 
ज्याच्या डोळ्या मध्ये दिसतं 
आपल्या सर्व चुका माफ करतो 
तसाच पश्चात्ताप पण स्वतः करतो 
आपण जेवलो की नाही 
ह्याची काळजी घेतो 
देवाची मूर्ती नसेल तर 
आपण ज्याच्या पाया पडतो 

तो चेहरा 
ज्याच्या एक नजरे वर 
आपण घाबरतो  
आयुष्यात स्व-बळावर 
उभे राहणं तो शिकवतो 
आपल्या साऱ्या भौतिकवादी
गरजाही पुरवतो 
तब्येत व्यवस्तिथ नसेल
तरी आपल्या लोकां करिता 
तो दिवस रात्र राभतो 
आपल्या चुकांवर 
त्याच शनी कानफाटीत मारतो 
तसाच आपल्या सुख-रूपा साठी 
देव:शी  पण भांडतो 

तो चेहरा 
जो रोजच्या गर्दी मध्ये 
खुलून दिसतो 
बघताच शनी 
आपल्या मुखावर 
मंद असं  प्रांजळ हास्य 
देऊन जातो 
कळत न:कळत 
आपल्या दिवसाला 
एक गोड अशी सुरवात 
देऊन जातो 

तो चेहरा 
जो अनोळखी असून 
आपल्या सारखा वाटतो 
एकदा भेट झाली 
तर परत भेटण्याची इच्छा 
मनात जागृत करतो 
का कळेना आयुष्यभर 
आपल्या समोरच राहावा 
अशी परस्पर भावना 
हृदयात निर्माण करतो 
डोळ्यात-ल्या डोळ्यातच 
त्या चेहऱ्या सोबत आपण संवाद साधतो 

तो चेहरा 
जो आरश्यात एकटक नजरेने 
आपण निवांत पाहतो 
कधी थकलेला असतो 
कधी प्रफुल्लित असतो 
कधी चिंतनात असतो 
तर कधी आत्म-विश्वासाने ध्येय-वेडा असतो 
क्षणभर विश्रांती कधी सापडेल 
या विचारात गुंफलेला !!!

तो चेहरा !!!

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हिन्दी 

वो चेहरा !!!

याद आता हे क्या 
अपने दिल में 
हमेशा के लिए घर करनेवाला 
आखें बंद करतेही 
पहले घडी पर दिखनेवाला 
वो चेहरा 

वो चेहरा 
जिसको ना देखके बचपन का एकभी 
दिन गुजरता नहीं 
हमारा सुख, हमारा दुःख 
जिसके आखों में दीखता
हमारी सारी गलतिया माफ़ करता 
और पश्याताप भी खुद ही करता 
हमने खाना खाया या नहीं 
इस बात की चिंता करता 
अगर भगवन की मूर्ति नाहो  
तो हम उसी के पाँव स्पर्श करते है 

वो चेहरा 
जिसके एक नज़र पर 
हम दर जाते 
ज़िन्दगी में खुदके दम पर 
खड़े रहना वो सिखाता है 
हमारी सारी भौतिकवादी
जरूरते वो पूरा करता है 
उनकी तब्येत चाहे कितनी ख़राब हो 
फिर भी अपनों के लिए 
दिन रात वो मेहनत करता है 
हमारे गलतियों पर 
उसी समेह हमें फटकार लगता है 
और हमारे अच्छे जीवन के लिए 
भगवान से भी वो लड़ लेता है 

वो चेहरा
जो रोज़ के भीड़ में 
खुलता हुआ नज़र आता है 
उसे देखो तो
हमारे चेहरे पर
धीरेसे सरलसी मुस्कराहट 
आही जाती है 
जाने अनजाने 
हमारे दिन को एक मिठीसी 
शुरवात मिलजाती है 

वो चेहरा 
जो अनजान होके भी 
अपना सा लगता है 
एक बार मुलाक़ात होगयी 
तो बार बार मिलने की इच्छा
मन में जगाता है 
क्यों पता नहीं ज़िन्दगी भर 
हमारे सामनेही रहे 
ऐसी भावना तुरंत 
दिल में निर्माण करता है  
आँखों ही आंखों में 
उस चेहरे से संवाद साधा जा सकता है 

वो चेहरा 
जो आईने में गौर से 
निद्रालु होके हम देखते है 
कभी थका हुआ होता है 
कभी उल्लासित होता है 
कभी मनन में होता है 
तो कभी आत्मविश्वास से लक्ष्यवेधी होता है 
थोड़े देर ही सही आराम तो मिले 
इसके विचार में मुड़ा हुआ !!!

वो चेहरा !!!

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